Zusammenfassung der Ressource
मिर्ज़ा गालिब
- आम खाने का शोक
- उनके दोस्त उन्हें आम भेजते थे
- उन्होंने ६३ चिठियाँ भेजी सिर्फ आम के लिए
- उन्होंने अपने दोस्त चोधरी अब्दुल गफूर
- बादशा भी आम भेजते थे
- बहादुरशा ज़फर
- अंतिम साँस मैं १०-११ आम
- उन्हें २७ अलग-अलग प्रकार के आमो के नाम पता थे
- गली का नाम "कासिम जान"
- उनको याद करते हुए आज भी कसिम जान मैं आम की दावत कि जाती है l